लेखनी प्रतियोगिता -13-Jun-2022 कभी धूप कभी छांव
जिन्दगी क्या है , कभी धूप तो कभी छांव
कभी दौड़ती सी लगे तो कभी लगे ठहराव
कभी दुखों की गठरी, कभी सुखों का समन्दर
एक ही नियम है , जो जीता वही है सिकन्दर
गमों के पहाड़ हैं, ढेरों कबाड़ हैं कुछ जुगाड़ हैं
पथ में बबूल, तीखे से शूल सब कुछ बिगाड़ है
सफर के बीच में कोई फलदार वृक्ष भी मिलेगा
हवा, छाया और भूख मिटाने को फल भी तो देगा
सूरज की किरणों से चल उम्मीदें उधार लेकर
नदियों से अनवरत चलने का मंत्र सीखकर
बहारों से हरदम मुस्कुराने का पैगाम ले ले
दीपक से अंधेरे से लड़ने का पयाम ले ले
एक वक्त ऐसा आयेगा अपने भी साथ छोड़ेंगे
जिनको तूने खड़ा किया वो ही तेरा दिल तोड़ेंगे
गर्मी सताएगी, वर्षा रुलाएगी सर्दी कंपकंपाएगी
दिल को सुकून देने वाली वो सुबह कभी तो आएगी
हिम्मत के घोड़े पे सवार होकर लक्ष्य की ओर बढना है
उतार चढाव वाले रास्तों से सफलता की चोटी चढना है
हरिशंकर गोयल "हरि"
13.6.22
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Khushbu
14-Jun-2022 09:29 PM
शानदार
Reply
नंदिता राय
14-Jun-2022 04:11 PM
बहुत ही सुन्दर
Reply
Punam verma
14-Jun-2022 01:16 PM
Nice
Reply